हमारे सभी ग्रहों की परिक्रमा कैसे होती है

हमारा सौरमंडल एक बड़ा परिवार है जिसमें सूरज माता-पिता जैसा है और सारे ग्रह उसके बच्चे। सूरज बीच में स्थिर है और सभी ग्रह उसके चारों ओर घूमते हैं। इसमें 8 मुख्य ग्रह हैं – बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून। इनके अलावा बौने ग्रह, उल्का और धूमकेतु भी हैं। ग्रह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण की पकड़ में रहते हैं, इसलिए वे उसके चारों ओर गोल-गोल घूमते रहते हैं। हर ग्रह की दूरी, गति और घूमने का समय अलग होता है। यही वजह है कि किसी को एक चक्कर लगाने में कुछ महीने लगते हैं तो किसी को सैकड़ों साल।

सभी ग्रह कैसे परिक्रमा करते है

ग्रह कैसे घूमते हैं

ग्रह सूर्य के चारों ओर एक तय रास्ते पर चलते हैं जिसे कक्षा कहते हैं। ये रास्ते पूरी तरह गोल नहीं होते बल्कि हल्के अंडाकार होते हैं। जो ग्रह सूरज के पास हैं, जैसे बुध और शुक्र, वे तेजी से घूमते हैं क्योंकि गुरुत्वाकर्षण की पकड़ ज्यादा मजबूत होती है। जो दूर हैं, जैसे नेपच्यून, वे धीरे घूमते हैं। कक्षा में ग्रह हमेशा सूरज की ओर खिंचे रहते हैं, लेकिन उनकी अपनी गति भी होती है, जिससे वे सूरज में गिरते नहीं बल्कि गोल-गोल घूमते रहते हैं।

 गुरुत्वाकर्षण की ताकत

गुरुत्वाकर्षण वह अदृश्य खिंचाव है जो सबको एक-दूसरे की ओर खींचता है। सूरज का गुरुत्वाकर्षण इतना ताकतवर है कि वह करोड़ों किलोमीटर दूर के ग्रहों को भी अपनी तरफ खींचे रखता है। अगर यह बल न होता, तो ग्रह सीधी लाइन में अंतरिक्ष में निकल जाते। दूसरी तरफ, अगर ग्रह की गति कम हो जाए, तो वह सीधे सूरज में गिर जाएगा। सूरज की पकड़ और ग्रह की गति का यह संतुलन ही उन्हें उनकी कक्षा में टिकाए रखता है। यही वजह है कि अरबों सालों से ग्रह बिना टकराए घूमते आ रहे हैं।

 पृथ्वी की यात्रा

पृथ्वी को सूरज का एक चक्कर लगाने में लगभग 365 दिन लगते हैं। हम इसे एक साल कहते हैं। हमारी पृथ्वी सूरज से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। उसकी कक्षा थोड़ी अंडाकार है, इसलिए साल में कभी-कभी हम सूरज के करीब होते हैं और कभी थोड़े दूर। पृथ्वी अपने अक्ष पर झुकी हुई है, इसलिए हमें अलग-अलग ऋतुएं मिलती हैं गर्मी, सर्दी, बरसात और वसंत। पृथ्वी गोल घूमते हुए लगभग 30 किलोमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से परिक्रमा करती है। सोचिए, हम इतनी तेज़ी से घूम रहे हैं और हमें पता भी नहीं चलता!

बड़े ग्रहों की धीमी चाल

बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून सूरज से बहुत दूर हैं। इनकी कक्षा इतनी बड़ी है कि इन्हें एक चक्कर पूरा करने में सालों नहीं, बल्कि दशकों और सदियों लगते हैं। जैसे बृहस्पति को 12 साल, शनि को 29 साल, यूरेनस को 84 साल और नेपच्यून को 165 साल लगते हैं। इनकी गति धीमी होती है, लेकिन ये भी सूरज की गुरुत्वाकर्षण पकड़ में मजबूती से बंधे रहते हैं। इनके अपने चांद भी हैं जो इनके चारों ओर घूमते हैं, और साथ ही वे सब सूरज के भी चक्कर लगाते हैं।
बिंदु विवरण
गुरुत्वाकर्षण सूर्य का गुरुत्व ग्रहों को उसकी ओर खींचता है और परिक्रमा बनाता है।
जड़त्व ग्रह सीधे चलने की प्रवृत्ति रखते हैं; गुरुत्व और जड़त्व का संयोजन कक्षा बनाता है।
कक्षा का रूप कक्षाएँ पूर्ण वृत्त नहीं होतीं, बल्कि (अंडाकार) होती हैं।
गति में बदलाव कक्षा के कुछ हिस्सों में ग्रह धीमे और कुछ हिस्सों में तेज चलते हैं।
आवधिकता प्रत्येक ग्रह की परिक्रमा अवधि अलग होती है — उदाहरण: पृथ्वी ≈ 365 दिन।

छोटे ग्रहों की तेज चाल

बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल जैसे छोटे और पास के ग्रह सूरज का चक्कर तेजी से लगाते हैं। बुध को सिर्फ 88 दिन और शुक्र को 225 दिन लगते हैं। मंगल को लगभग 687 दिन लगते हैं। सूरज के पास होने की वजह से इन पर रोशनी और गर्मी ज्यादा पड़ती है। उनकी सतह पर तापमान में बड़ा अंतर भी देखा जाता है – जैसे दिन में बहुत गर्मी और रात में ठंड। छोटे ग्रहों की यह तेज चाल उनकी छोटी कक्षा और सूरज की मजबूत पकड़ का नतीजा है।

यह सब क्यों जरूरी है

ग्रहों का सूरज के चारों ओर घूमना हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी है। अगर यह संतुलन बिगड़ जाए, तो मौसम बदल जाएंगे, दिन-रात का समय गड़बड़ा जाएगा और शायद जीवन भी खत्म हो जाए। खासकर पृथ्वी की सही दूरी और स्थिर गति ही हमें रहने लायक मौसम देती है। बड़े और छोटे दोनों तरह के ग्रह अपने-अपने तरीके से सौरमंडल का संतुलन बनाए रखते हैं। वैज्ञानिक इन गतियों का अध्ययन करके यह समझते हैं कि ब्रह्मांड कैसे काम करता है और भविष्य में हम दूसरे ग्रहों पर रह पाएंगे या नहीं।

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