सबरी की एक ऐसी कहानी जो बहुत कम लोगों ने सुना है

जब भी हम रामायण की बात करते हैं, तो राम, सीता, लक्ष्मण, रावण और हनुमान के नाम सबसे पहले याद आते हैं। पर रामायण में कुछ ऐसे पात्र और कहानियाँ भी हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।आज हम आपको एक ऐसी कम सुनी हुई कहानी बताने जा रहे हैं – शबरी और उसकी सच्ची भक्ति की कहानी।शायद आपने सुना होगा कि शबरी ने राम को जूठे बेर खिलाए थे और राम ने खुशी से खा लिए थे। लेकिन क्या आपको पता है कि राम से मिलने से पहले शबरी ने सालों तक राम का इंतजार किया था?




शबरी कौन थी?

शबरी एक गरीब भीलनी थी। वह जंगलों में रहने वाली आदिवासी जाति से थी। उसका काम जंगल से लकड़ियां लाना, फल तोड़ना और छोटी-छोटी चीज़ों से गुज़ारा करना था।

वह पढ़ी-लिखी नहीं थी, ना ही बड़े-बड़े यज्ञ करती थी। लेकिन उसके मन में भगवान के लिए बहुत सच्चा प्रेम था।


शबरी ने घर क्यों छोड़ा?

एक दिन शबरी के गांव में एक शादी जैसा बड़ा कार्यक्रम हो रहा था। वहां कई जानवरों की बलि दी जा रही थी।

शबरी ये सब देखकर बहुत दुखी हो गई। उसे लगा, "अगर भगवान को खुश करने के लिए जानवर मारने पड़ते हैं, तो ऐसे भगवान की पूजा मैं नहीं करूंगी।"

उसी रात वह चुपचाप जंगल की ओर चल दी – भगवान की सच्ची भक्ति खोजने।


शबरी और मातंग ऋषि की मुलाकात

कई ऋषि-मुनियों से मिलने के बाद शबरी की मुलाकात मातंग ऋषि से हुई।
दूसरे ऋषियों ने शबरी को उसकी जाति की वजह से भगा दिया था, लेकिन मातंग ऋषि ने उसे अपनाया।

मातंग ऋषि ने शबरी को अपने आश्रम में रख लिया। शबरी दिन-रात आश्रम की सेवा करने लगी – झाड़ू लगाती, फूल लाती, पानी भरती और ऋषि की सेवा करती।

धीरे-धीरे उसका मन पूरी तरह भगवान में लग गया।


 गुरु का वादा: राम आएंग

एक दिन मातंग ऋषि ने शबरी से कहा,
"बेटी, मैं अब शरीर छोड़ने वाला हूं, लेकिन चिंता मत कर। एक दिन भगवान राम खुद इस आश्रम में आएंगे। बस तुम इंतजार करना।"

यह सुनकर शबरी बहुत खुश हुई।
ऋषि चले गए, लेकिन शबरी वही रुकी रही – रोज़ उसी उम्मीद में कि "आज राम आएंगे!"

सालों तक इंतज़ार

शबरी रोज़ सुबह जल्दी उठती।

आश्रम साफ़ करती,

फूल बिछाती,

जंगल जाकर मीठे बेर लाती –
हर दिन ऐसे सजाती जैसे कोई खास मेहमान आने वाला हो।


लोग उसका मज़ाक उड़ाते थे,
"अरे पगली, राम क्यों आएंगे तुझसे मिलने?"
"कई साल हो गए, कोई नहीं आया!"

पर शबरी कहती,
"गुरु जी ने कहा है, राम जरूर आएंगे। मुझे उन पर पूरा भरोसा है।


और फिर एक दिन

सीता माता की खोज करते हुए राम और लक्ष्मण जंगल से गुजर रहे थे। तभी वे शबरी के आश्रम पहुंचे।

शबरी उन्हें देखकर बहुत खुश हुई। उसकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे।

उसने राम का स्वागत किया और उन्हें बेर खाने को दिए – वो भी एक-एक चखकर ताकि कोई बेर खट्टा न हो।
लक्ष्मण को यह थोड़ा अजीब लगा कि बेर पहले चखे गए थे, लेकिन राम मुस्कराकर उन्हें खाते रहे।

राम ने कहा,
"मां, तुम्हारा प्रेम इन फलों से कहीं बड़ा है। तुम्हारी भक्ति ने मुझे यहां तक खींच लाया है।"


मोक्ष की प्राप्ति

शबरी का जीवन सफल हो गया था।
वह सालों से जिस दिन का इंतज़ार कर रही थी, वह दिन आखिर आ ही गया था।

श्रीराम ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा,
"तुम्हारा जीवन धन्य है, अब तुम स्वर्ग को प्राप्त करोगी।"

राम के चरणों में गिरकर शबरी को मोक्ष मिल गया।


 इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

यह कहानी बहुत कुछ सिखाती है:

✅ सच्ची भक्ति जाति या रूप नहीं देखती।
✅ अगर दिल से किसी को याद करो, तो भगवान भी मिलने आते हैं।
✅ गुरु का वचन कभी झूठा नहीं होता।
✅ धैर्य और भरोसा ही असली पूजा है।
✅ भगवान को भोग नहीं, भावना चाहिए।


निष्कर्ष

शबरी की कहानी हमें यह बताती है कि भगवान तक पहुंचने के लिए कोई बड़ा यज्ञ या ताजमहल जैसा मंदिर नहीं चाहिए – बस एक सच्चा दिल चाहिए।

शबरी गरीब थी, अकेली थी, लेकिन उसके भीतर प्रेम और भक्ति की जो शक्ति थी, उसी ने राम को उसके आश्रम तक खींच लाया।

रामायण की यही सुंदरता है – इसमें हर छोटे-बड़े व्यक्ति की कहानी हमें कुछ न कुछ सिखा जाती है।


अगर आपको यह कहानी पसंद आई, तो इसे जरूर शेयर करें।
और कमेंट में बताएं 

0 Comments

Post a Comment

Post a Comment (0)

Previous Post Next Post