दोस्तों, कल सरकार की एक अहम बैठक हुई जिसमें ऑनलाइन गेमिंग को लेकर बड़ा फैसला लिया गया। सरकार ने उन गेम्स पर कड़ी कार्रवाई का ऐलान किया है जिनमें बच्चों और युवाओं की मानसिकता पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। खासकर फांसी गेमिंग जैसे खतरनाक गेम्स, जो बच्चों को मानसिक रूप से कमजोर कर रहे थे और कई बार आत्महत्या जैसी घटनाओं की वजह भी बन रहे थे, अब पूरी तरह से बंद कर दिए जाएंगे।
क्यों लिया गया यह फैसला?
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, बीते कुछ समय से बच्चों और युवाओं में फांसी गेमिंग और इसी तरह के खतरनाक खेलों की लत बढ़ रही थी। ये गेम्स उन्हें हिंसा और आत्महत्या की ओर प्रेरित कर रहे थे। कई राज्यों से ऐसी शिकायतें मिलीं कि बच्चे गेम हारने पर खुद को नुकसान पहुँचाने लगे। इस वजह से अभिभावकों और शिक्षकों ने सरकार से कड़ा कदम उठाने की मांग की थी।
बच्चों पर असर
साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि ऐसे गेम्स बच्चों के दिमाग को तनाव, डर और डिप्रेशन की ओर धकेलते हैं। छोटे बच्चे, जो असली और नकली के बीच फर्क नहीं कर पाते, इन गेम्स को खेलते-खेलते खतरनाक कदम उठा लेते हैं।
अभिभावकों की चिंता
माता-पिता लंबे समय से चिंता जता रहे थे कि उनके बच्चे ऑनलाइन गेमिंग में इतना खो जाते हैं कि पढ़ाई और जीवन से ध्यान हट जाता है। अब सरकार के इस कदम से उन्हें राहत मिली है।
आगे क्या होगा?
सरकार ने यह भी कहा है कि केवल फांसी गेमिंग ही नहीं बल्कि सभी ऐसे ऑनलाइन गेम्स की समीक्षा की जाएगी जिनमें हिंसा, आत्महत्या, ड्रग्स या आपत्तिजनक सामग्री हो। इसके लिए एक गेमिंग रेगुलेशन बोर्ड बनाया जाएगा।
डिजिटल सुरक्षा पर जोर
बैठक में यह भी तय हुआ कि इंटरनेट पर बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। साथ ही, अभिभावकों को यह सलाह दी गई है कि वे अपने बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर नज़र रखें।
गेमिंग इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया
गेमिंग कंपनियों का कहना है कि वे सरकार के फैसले का सम्मान करती हैं। हालांकि कुछ कंपनियों ने कहा है कि अगर ऐसे गेम्स को मॉडिफाई करने का मौका मिले तो उन्हें बंद करने की बजाय सुरक्षित बनाया जा सकता है।
समाज की राय
सोशल मीडिया पर लोग इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं। कई यूजर्स ने कहा कि बच्चों की जान किसी भी एंटरटेनमेंट से ज्यादा कीमती है। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि सिर्फ बैन करने से हल नहीं निकलेगा, बल्कि बच्चों को अच्छे विकल्प और मनोरंजन भी देने होंगे।
नतीजा
सरकार के इस फैसले से साफ है कि अब भारत में खतरनाक गेम्स की जगह सेफ और एजुकेशनल गेमिंग को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम न सिर्फ बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी था बल्कि देश के डिजिटल भविष्य के लिए भी अहम साबित होगा।
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