महाभारत सिर्फ़ एक युद्ध की कहानी नहीं है, बल्कि यह धर्म, नीति, राजनीति, प्रेम, त्याग और विश्वास का अद्भुत संगम है। इसे वेदव्यास ने लिखा और इसमें लगभग एक लाख श्लोक हैं। इसे पंचम वेद भी कहा जाता है।
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2. हस्तिनापुर का राजवंश
हस्तिनापुर के राजा शंतनु ने गंगा से विवाह किया और उनसे भीष्म का जन्म हुआ। बाद में उन्होंने सत्यवती से विवाह किया। सत्यवती के दो पुत्र हुए – चित्रांगद और विचित्रवीर्य। विचित्रवीर्य की मृत्यु के बाद, व्यास ऋषि ने नियम के अनुसार दो पुत्र उत्पन्न किए – धृतराष्ट्र (अंधे) और पांडु।
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3. कौरव और पांडव
धृतराष्ट्र से 100 पुत्र हुए, जिन्हें कौरव कहा गया। सबसे बड़ा था दुर्योधन।
पांडु की दो पत्नियाँ थीं – कुंती और माद्री। देवताओं के वरदान से पाँच पांडव पैदा हुए –
युधिष्ठिर (धर्मराज)
भीम (बलवान)
अर्जुन (धनुर्धर)
नकुल और सहदेव (अश्विनीकुमारों के पुत्र)
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4. द्रोणाचार्य और शिक्षा
पांडव और कौरव दोनों ने द्रोणाचार्य से शस्त्र विद्या सीखी। अर्जुन उनके सबसे प्रिय शिष्य बने। कर्ण भी अर्जुन की तरह महान धनुर्धर थे लेकिन उनकी पहचान सूतपुत्र होने के कारण उन्हें नीचा दिखाया गया।
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5. द्रौपदी स्वयंवर
राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी का स्वयंवर हुआ। अर्जुन ने मत्स्यवेध कर उनका हाथ जीता। लेकिन कुंती की आज्ञा से द्रौपदी पाँचों पांडवों की पत्नी बनी।
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6. पासे का खेल
दुर्योधन और शकुनि ने षड्यंत्र करके युधिष्ठिर को जुए में हराया। पांडवों ने अपना राज्य और द्रौपदी भी हार दी। द्रौपदी का चीरहरण सभा में हुआ, लेकिन श्रीकृष्ण ने उसकी रक्षा की। पांडवों को 13 साल का वनवास और 1 साल का अज्ञातवास मिला।
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7. कुरुक्षेत्र युद्ध
वापसी पर जब दुर्योधन ने राज्य लौटाने से इंकार किया तो महायुद्ध तय हुआ।
एक ओर कौरवों की सेना – भीष्म, द्रोण, कर्ण और शकुनि जैसे योद्धा।
दूसरी ओर पांडवों की सेना – भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव और श्रीकृष्ण (सारथी के रूप में)।
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8. गीता का उपदेश
युद्धभूमि में अर्जुन ने अपने ही बंधु-बांधवों को देखकर शस्त्र डाल दिए। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें भगवद गीता का उपदेश दिया और धर्मयुद्ध करने के लिए प्रेरित किया।
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9. युद्ध के घटनाक्रम
भीष्म को शिखंडी के आगे रखकर अर्जुन ने बाणों से बंधा।
द्रोणाचार्य छल से मारे गए।
कर्ण का रथ फँसने पर अर्जुन ने उनका वध किया।
भीम ने दुर्योधन की जंघा तोड़ दी।
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10. युद्ध का परिणाम
अठारह दिन के भीषण युद्ध में लाखों लोग मारे गए। अंततः पांडव विजयी हुए, लेकिन उनके अपने भी अनेक स्वजन मारे गए। विजय के बाद भी पांडवों के हृदय में शांति नहीं थी।
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11. महाभारत का संदेश
महाभारत हमें सिखाती है कि –
लालच और अहंकार का अंत विनाश होता है।
धर्म की जीत निश्चित है, चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ।
सच्चाई और न्याय की राह कठिन हो सकती है, पर अंत में वही टिकती है।
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👉 यह पूरी कथा सिर्फ़ संक्षेप में है। असली महाभारत तो अनगिनत उपकथाओं और गहन संदेशों से भरी हुई है।
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